राज दरभंगा कैसे अस्तित्व में आया ?
दरभंगा का इतिहास हमेशा से गौरवशाली रहा है । दरभंगा , मिथिला(तिरहुत) क्षेत्र का एक बहुत अहम हिस्सा रहा है ।
दरभंगा राज , जिसे हम राज दरभंगा के नाम से जानते हैं , खंडवाला वंश के शासक थे ।
हिन्दुस्तान में तुगलक वंश के शासन काल में , मुहम्मद बिन तुगलक ने बिहार में काफी लूट मचाई थी । तब से लेकर मुगल वंश के शासन काल तक दरभंगा की स्थिति गंभीर बनी रही । लेकिन अकबर के शासन काल में दरभंगा का उदय हुआ । शहंशाह अकबर ने यह पाया कि मिथिला क्षेत्र से कर वसुलने के लिऐ एक सही शासन व्यवस्था की जरूरत होगी । अकबर यह जानते थे कि मिथिला क्षेत्र के लिऐ एक मैथिल शासक ही उपयुक्त होगा । और इसलिऐ उन्होंने इस कार्य के लिऐ राजपंडित चंद्रपति ठाकुर (जो मिथिला से थे ) को बुलाकर अपने एक पुत्र को यह काम सौंपने को कहा । राजपंडित ने यह कार्य अपने बड़े पुत्र महेष ठाकुर जी को सौंपना उपयुक्त समझा और अकबर ने सन् 1577 ई° में राम नवमी के दिन महेष ठाकुर जी को मिथिला का राजा बनाया । और यही खंडवाला वंश के शासक राज दरभंगा के नाम से विख्यात हुऐ ।
दरभंगा राज एक अत्यंत प्रभूताशाली राज रहा । इस राज के अंत तक , 4500 गाँव इसमें शामिल थे ।
आजादी के बाद , नये संविधान की रचना की गई और ऐसे सभी राज, रियासतों से सारी शक्तियाँ छीन ली गई । इस राज के अंतिम राजा , महाराजा बहादूर कामेश्वर सिँह थे, जिनकी मृत्यु 1960 में हो गई ।
राज दरभंगा के शासक
दरभंगा राज में कुल 20 शासक हुऐ
1● राजा महेश ठाकुर
2● राजा खोपाल ठाकुर
3● राजा परमानंद ठाकुर
4● राजा शुभंकर ठाकुर
5● राजा पुरुषोत्तम ठाकुर(1607-1623 ई)
6● राजा नारायण ठाकुर(1623-1642 ई)
7● राजा सुंदर ठाकुर(1642-1662ई)
8● राजा महिनाथ ठाकुर(1662-1684 ई)
9● राजा निर्पत ठाकुर(1684-1700 ई)
10● राजा रघु सिंह(1700-1736ई )
11● राजा विष्णु सिंह(1736-1740ई )
12● राजा नरेंद्र सिंह(1740-1760 ई)
13● राजा प्रताप सिंह(1760-1776ई)
14● राजा माधो सिंह(1776-1808ई)
15● महाराजा छत्र सिंह बहादुर(1808-1839ई )
16● महाराजा रूद्र सिंह बहादुर(1839-1850 ई)
17● महाराजा महेश्वर सिंह बहादुर(1850-1860ई)
18● महाराजा लक्ष्मेश्वर सिंह बहादुर(1860-1898ई)
19● महाराजा रामेश्वर सिंह बहादुर(1898-1929ई)
20● महाराजा कामेश्वर सिँह बहादुर (1929-देश की स्वतंत्रता 1947 तक)
(चित्र इंटरनेट से ली गई है )
राज दरभंगा से जुड़े रोचक तथ्य
1● खंडवाला वंश के हिस्से मिथिला क्षेत्र की सत्ता आने पर इसकी राजधानी मधुबनी में थी; मगर राजा प्रताप सिंह ने 1762 में दरभंगा को अपनी राजधानी बनाया और किले का निर्माण कराया।
2● महाराजा लक्ष्मेश्वर सिंह बहादुर पहले राजा थे जिन्होंने विदेशी पढ़ाई की थी । ब्रिटिश चेस्टर मैक्नाॅटन , उनके शिक्षक थे । उन्हें knight grand commander की उपाधि मिली थी ।
3● महाराजा रामेश्वर सिंह बहादुर ने ब्रिटिश से महाराजाधिराज की उपाधि हासिल की थी ।ये शक्ति के परम उपासक एवं तंत्र विद्या के ज्ञाता थे । उन्हें भारतीय प्रशासनिक सेवा के तहत 1878 में मैजिस्ट्रेट नियुक्त किया गया था , परंतु वह अपनी पूजा पाठ को लेकर इतने प्रतिबद्ध थे कि वह उस नौकरी में समय नहीं दे पाते थे और उन्होंने यह नौकरी छोड़ दी ।
4● महाराजा रामेश्वर सिंह बहादुर इतने सिद्ध तांत्रिक थे कि उनकी चिताभूमि पर बनाई गई देवी काली का मंदिर अत्यंत भव्य एवं प्रसिद्ध है , लोगों की ऐसी मान्यता है कि आज भी वहाँ एक खास जगह चिंता की ताप को महसूस किया जा सकता है ।
( श्यामा काली मंदिर , दरभंगा
तस्वीर स्वयं मनिषा झा ने ली है )
5● महाराजा कामेश्वर सिँह बहादुर ने पत्रकारिता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किऐ।
इन्होंने न्यूजपेपर एंड पब्लिकेशन प्राईवेट लिमिटेड की स्थापना की । अंग्रेजी में द इंडियन, हिंदी में आर्यावर्त , मैथिली में मिथिला मिहिर का प्रकाशन किया
6● महाराजा कामेश्वर सिँह बहादुर विधान सभा व विधान परिषद के सदस्य भी रहे और 1952-1958 और 1960-1962 तक राज्य सभा के सदस्य भी रहे ।
7●राज दरभंगा ने अपने शासन काल में बनाये हुऐ अनेक भवनों को दान कर दिया ।
जिसमें से नरगौना पैलेस, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय को दिया गया और लक्ष्मीनिवास पैलेस, कामेश्वर सिँह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय को दान में दिया गया ।
(तस्वीर मनिषा झा ने स्वयं ली है )
(तस्वीर मनिषा झा ने स्वयं ली है )
8● कामेश्वर सिँह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय का नाम महाराजा कामेश्वर सिँह बहादुर के नाम पर ही पड़ा ।
9● महाराजा लक्ष्मेश्वर सिंह बहादुर 1885 में इंडियन नेसनल कांग्रेस के संस्थापको में से एक थे ।
10● राज दरभंगा भगवान शिव और देवी काली के उपासक थे और उन्होंने कई जगह इनके मंदिर निर्माण भी करवाऐ।
(उपर्युक्त दोनों तस्वीर श्यामा काली मंदिर परिसर दरभंगा की हैं , तस्वीर स्वयं मनिषा झा ने ली है )
11● राज दरभंगा ने कई शैक्षणिक संस्थानों को भी दान दिया था । इनमें, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, कलकत्ता विश्वविद्यालय, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, पटना विश्वविद्यालय, कामेश्वर सिँह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय, दरभंगा मेडिकल काॅलेज , ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, अलिगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय सहित अन्य कई विश्वविद्यालय शामिल हैं ।
महाराजा रामेश्वर सिंह बहादुर ने 5,000,000 रू बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना हेतु दान दिया था ।
12● महाराजा कामेश्वर सिँह बहादुर, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति भी रह चुके थे ।
13● राज दरभंगा ने अपना नवलखा पैलेस , पटना विश्वविद्यालय तथा अपना पैतृक आवास आनन्द बाग पैलेस, कामेश्वर सिँह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय को दान दे दिया ।
14● दरभंगा राज संगीत व कला के भी प्रेमी थे ।
उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ दरभंगा राज दरबार में प्रसिद्ध संगीतज्ञ थे , बनारस से पहले उनका जीवन दरभंगा में ही बीता ।
इनके अलावा गौहर जान , पंडित राम चतुर मलिक , पंडित राम सिया तिवारी, मुरादाबाद अली खान इत्यादि भी दरभंगा राज दरबार का हिस्सा थे ।
15● राज दरभंगा द्वारा निर्मित नरगौना पैलेस देश का पहला भूकंपरोधी भवध है ।
-मनिषाझा
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